मासूम आँखें
आँखें ख़ुदा ने दी हैं तो देखेंगे हुस्न-ए-यार
कब तक नक़ाब रुख़ से उठाई न जाएगी
कब तक नक़ाब रुख़ से उठाई न जाएगी
उनकी आँखों को देख कर हम मदहोश हो गए
हमे क्या मालूम था
जिस आँखों से हम मोहब्बत कर रहे है
एक दिन वे आँखे बेवफा हो जाएगी
वजह तू नहीं, तेरी ये कमी है....✍
निंदों के बगावत से ये नुकसानहुआ है दोस्तो ,
एक शख्स के ख्वाब को तरसती रहीआँखें !
एक शख्स के ख्वाब को तरसती रहीआँखें !
मासूम आँखें
Reviewed by Dard ki aawaj
on
July 03, 2018
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