दर्द ए दिल
दिल के किसी कोने में ,
अब इनको दफ़न कर दो
मासूम ख्वाहिशें थीं ,बेमौत मर गई है
ना लफ़्ज़ों का लहू निकलता है
ना किताबें बोल पाती हैं,
मेरे दर्द के दो ही गवाह थेऔर दोनों ही बेजुबां निकले…
अल्फ़ाज़ो में क्या बयाँ करु मोहब्बत केअफसाने
हमारे दिल में तो वो ही है उनके दिल की ख़ुदा जान
किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बूँदों पर........
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर........
जो जरा किसी छेड़ा छलक पड़ेंगे आंसु ,
कोई मुझसे यूँ ना पुछे तेरा दिल उदास क्योँ है ?
मिलने का वादा तो उनकी जुबान से यू ही निकल गया।
हमने जगह पूछी ??
तो कहा ख्वाब में आ जाना।।।।
दर्द ए दिल
Reviewed by Dard ki aawaj
on
July 29, 2018
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