ज़ख़्मी दिल
इश्क वो खेल नहीं जो छोटे दिल वाले खेलें
रूह तक काँप जाती है, सदमे सहते-सहते.
समझ नही आती यारब ... वफ़ा करे तो किस से करेँ ।। मिट्टी से बने ये लोगकागज़ के टुकड़ोँ परबिक जाते हैँ ।
इस जिन्दगी काकोई सहारानहीँ है ।
इस जहाँ मेँ कोईहमारा नहीँ है ।
छुआ था जबउनके दामन को ,
तो वो हंस कर बोलेये दामन भी तुम्हारा नहीँ हैँ ।
रूह तक काँप जाती है, सदमे सहते-सहते.
बना दो वज़ीर मुझे भी इश्क़ की दुनिया का दोसतों, वादा है मेरा हर बेवफा को सजा ऐ मौत दूंगा...!!!
यूँ ही नही आता ये शेर-ओ-शायरी का हुनर,.......
कुछ खुशियाँ गिरवी रखकर जिंदगी से दर्द खरीदा है। -
इस जिन्दगी काकोई सहारानहीँ है ।
इस जहाँ मेँ कोईहमारा नहीँ है ।
छुआ था जबउनके दामन को ,
तो वो हंस कर बोलेये दामन भी तुम्हारा नहीँ हैँ ।
ज़ख़्मी दिल
Reviewed by Dard ki aawaj
on
July 04, 2018
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