दिल
जब भी तेरी याद आती है,
तब मै अपने दिल पे हाथ रख लेता हूँ
क्युकी मुझे पता है
तूम कही नही मिले तो यहाँ जरुर मिलोगे..!!
तब मै अपने दिल पे हाथ रख लेता हूँ
क्युकी मुझे पता है
तूम कही नही मिले तो यहाँ जरुर मिलोगे..!!
अब तो हमने दिल को भी सिखा दिया औकात मेँ रहने का हुनर
कमबख्त उसकी जिद करता था जो उसके मुकदरमे नहीँ ।
इस से ज्यादा तुम्हेँ और कितना करीब लाऊँ ,
कि तुम्हेँ दिल मेँ रख कर भी दिल नहीँ भरता ।
जिस्म तो उसका भी मिट्टीका बना है मेरीतरह ,
या ख़ुदा फिर मेरा ही दिल क्युँ तड़फता है उसके लिए ।
ए चिरागों ना इतराओ तुम खुद पर इतना…
तुमसे तेज़ तो हमारे दिल जला करते है…….i
कर ली ना तसल्ली तुमने दिल तोड़कर मेरा...?
मैंने तो कहा भी था,..कुछ नहीं है इसमें तुम्हारे सिवा....
तमाम लोगों को अपनी - अपनी मंजीलें मिली ,
कमबख्त दिल हमारा ही हैं, जो अब भी सफ़र में हैं....!!
हाथों की लकीरे पढ़ कर रो देता है दिल,,,
सब कुछ तो है मग़र तेरा नाम क्यूँ नही है।।
दिल
Reviewed by Dard ki aawaj
on
July 08, 2018
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