अपनों की बेवफ़ाई
जिन फूलों की परवरिश हमने अपनी मोहब्बत से की..!!
जब वो खुशबु के काबिल हुए तो औरो के लिए महकने लगे..!!
घायल उस खंजर से नहीं जो मेरी पीठ मे लगा,
दर्द तब हुआ जब खंजर वाले हाथ को देखा l —
वो कश्तियाँ जो उससे बहुत मुहब्बत
करती थी..
समन्दर एक दिन उन्हीं को निगल
गया..
तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की
तरह थी..
कितना भी सजाया पर मेरी नहीं
हुई....
करती थी..
समन्दर एक दिन उन्हीं को निगल
गया..
तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की
तरह थी..
कितना भी सजाया पर मेरी नहीं
हुई....
कोहिनूर से भी कीमती बताया था कभी तुमने हमें
आज तूने किसी और के लिए मेरी वफा को रद्दी के भाव कर दिया
अपनों की बेवफ़ाई
Reviewed by Dard ki aawaj
on
July 02, 2018
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