आवारापन
निगाह-ए-इश्क़ का अजीब ही शौक देखा...!!
तुम ही को देखा और बेपनाह देखा...
सब खफ़ा है मेरे लहज़े से
मगर मेरे हाल से कोई वाकिफ़ नही
छीन लेता है मुझसे हर चीज आये खुदा ,
क्या तूँ भी इतना गरीब है ????
चलो ये ज़िन्दगी अब तुम्हारे नाम करते है ,
सुना है बेवफा की , बेवफा से खूब बनती है
मोहब्बत का आखिरी मुकाम फ़क़त जुदाई है..
अपना ख्याल रखना..
बस इतनी सी बात कहकर..
वो कुछ पल ठहरे और रुखसत हो गए...
एक सुकून एक तुम ,
कहां रहते हों दोनो
आजकल मिलते ही नही
कोई इल्ज़ाम रह गया होतो वह भी दे दो।
हम तो पहले भी बुरे थे
थोड़े और सही
तुम ही को देखा और बेपनाह देखा...
सब खफ़ा है मेरे लहज़े से
मगर मेरे हाल से कोई वाकिफ़ नही
छीन लेता है मुझसे हर चीज आये खुदा ,
क्या तूँ भी इतना गरीब है ????
चलो ये ज़िन्दगी अब तुम्हारे नाम करते है ,
सुना है बेवफा की , बेवफा से खूब बनती है
मोहब्बत का आखिरी मुकाम फ़क़त जुदाई है..
अपना ख्याल रखना..
बस इतनी सी बात कहकर..
वो कुछ पल ठहरे और रुखसत हो गए...
एक सुकून एक तुम ,
कहां रहते हों दोनो
आजकल मिलते ही नही
कोई इल्ज़ाम रह गया होतो वह भी दे दो।
हम तो पहले भी बुरे थे
थोड़े और सही
आवारापन
Reviewed by Dard ki aawaj
on
July 11, 2018
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