ऐहसास

तुम दर्द हो कर भी कितने अजीज
हो
हमदर्द होते तो न जाने क्या होता


रुलाना ही है, तो हँसाने का तकल्लूफ़ 
कैसा,

क्यूँ ज़हर दे रहे हो मोहब्बत मिला मिलाकर


अच्छा हुआ 
उसने ही तोड़ दिया रिश्ता
मेरे अंदर तो 

इतना भी हौंसला ना था


इसे इत्तेफाक समझो
या ..
दर्द भरी हकीकत .........
आँख जब भी नम हुई

वजह कोई अपना ही था ............!!


कोई सिखा दे हमें भी वादों से मुकर जाना,

बहुत थक गये हैं, निभाते निभाते


तुम हमारे हो ना 
हो ..

हम तुम्हारे रहेंगे सदा


भूल जाना या भुला देना, 
फक़त एक वहम है..
दिलों से कब निकलतें हैं,

दिलों में रहने वाले
ऐहसास ऐहसास Reviewed by Dard ki aawaj on November 13, 2018 Rating: 5

No comments:

ads
Powered by Blogger.